शाम की उड़ान

शाम के सुरमई अँधेरे में

इक परिंदा उड़ान भरता है

चाहता है किसी का साथ मिले

रात की बे-क़रारियों का अज़ाब

याद कर के वो काँप उठता है

इस लिए शाम के धुँदलके में

घोंसले को वो छोड़ देता है

और मुसलसल सफ़र में रहता है

लेकिन उस का सफ़र सदा की तरह

तिश्नगी का अज़ाब सहता है

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In Hindi By Famous Poet Rashid Anwar Rashid. is written by Rashid Anwar Rashid. Complete Poem in Hindi by Rashid Anwar Rashid. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.