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शहर से कोई मज़ाफ़ात में आया हुआ था - राशिद अमीन कविता - Darsaal

शहर से कोई मज़ाफ़ात में आया हुआ था

शहर से कोई मज़ाफ़ात में आया हुआ था

एक बाशिंदा मिरी घात में आया हुआ था

यूँही काटे नहीं दुश्मन ने मिरे दोनों हाथ

उस से ज़र बढ़ के मिरे हाथ में आया हुआ था

अब जहाँ ख़ुश्क ज़मीनें हैं बदन हैं बंजर

ये इलाक़ा कभी बरसात में आया हुआ था

आख़िरी रेल थी और तुझ से अचानक था मिलाप

मैं अजब सूरत-ए-हालात में आया हुआ था

इस तरह बाँट दिया तू ने मुझे हिस्सों में

जिस तरह मैं तुझे ख़ैरात में आया हुआ था

मेरी पहचान बने पेड़ परिंदे और फूल

सारा देहात मिरी ज़ात में आया हुआ था

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In Hindi By Famous Poet Rashid Ameen. is written by Rashid Ameen. Complete Poem in Hindi by Rashid Ameen. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.