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एक तस्वीर जो कमरे में लगाई हुई है - राशिद अमीन कविता - Darsaal

एक तस्वीर जो कमरे में लगाई हुई है

एक तस्वीर जो कमरे में लगाई हुई है

घर की टूटी हुई दीवार छुपाई हुई है

क़ब्र पे दीप न रख नाम का कतबा न लगा

हम ने मुश्किल से ये तंहाई कमाई हुई है

तख़्त और ताज तो जूतों में पड़े रहते हैं

वो गदाई तिरे दरवेश ने पाई हुई है

ढोल का शोर-ए-क़यामत है कि तेरी बारात

दूसरे गाँव से गाँव में आई हुई है

आँख पर शीशा लगाया है कि महफ़ूज़ रहे

तेरी तस्वीर जो पानी में बनाई हुई है

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In Hindi By Famous Poet Rashid Ameen. is written by Rashid Ameen. Complete Poem in Hindi by Rashid Ameen. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.