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हुस्न हो इश्क़ का ख़ूगर मुझे रहने देते - राशिद आज़र कविता - Darsaal

हुस्न हो इश्क़ का ख़ूगर मुझे रहने देते

हुस्न हो इश्क़ का ख़ूगर मुझे रहने देते

तुम हो मंज़र पस-ए-मंज़र मुझे रहने देते

मुझ से तहज़ीब-ए-रिया-कार की तज़ईं क्यूँ की

ना-तराशीदा था पत्थर मुझे रहने देते

मैं ने कब चाहा कि क़ैद-ए-दर-ओ-दीवार मिले

मैं तो आवारा हूँ बेघर मुझे रहने देते

वक़्त ओ हालात से ख़्वाहिश थी फ़क़त चंद ही रोज़

क़ैद-ए-लम्हात से बाहर मुझे रहने देते

मैं ने असनाम तराशे तो बिगाड़ा क्या था

तुम बराहीम थे 'आज़र' मुझे रहने देते

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In Hindi By Famous Poet Rashid Aazar. is written by Rashid Aazar. Complete Poem in Hindi by Rashid Aazar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.