Ghazals of Rashid Aazar

Ghazals of Rashid Aazar
नामराशिद आज़र
अंग्रेज़ी नामRashid Aazar
जन्म की तारीख1931

ज़िंदगी जो कह न पाई रह गई

ये बे-नवाई हमारी सौदा-ए-सर है घर में बसा दिया है

वही तअल्लुक़-ए-ख़ातिर जो बर्क़-ओ-बाद में है

तुम्हारा नाम ले कर दर-ब-दर होता रहूँगा

सुब्ह-ए-क़यामत जिन होंटों पे दिलासे देखे

साया था मेरा और मिरे शैदाइयों में था

समझ रहा है तिरी हर ख़ता का हामी मुझे

मुंतज़िर आँखों में जमता ख़ूँ का दरिया देखते

मरते नहीं अब इश्क़ में यूँ तो आतिश-ए-फ़ुर्क़त अब भी वही है

मालूम है वो मुझ से ख़फ़ा है भी नहीं भी

ख़याल की तरह चुप हो सदा हुए होते

कम से कम अपना भरम तो नहीं खोया होता

हुस्न हो इश्क़ का ख़ूगर मुझे रहने देते

हयात दी तो उसे ग़म का सिलसिला भी किया

फ़ासला रक्खो ज़रा अपनी मुदारातों के बीच

दर्द अपना था तो इस दर्द को ख़ुद सहना था

चाहत तुम्हारी सीने पे क्या गुल कतर गई

बाज़ भी आओ याद आने से

अज़्म-ए-बुलंद जो दिल-ए-बेबाक में रहा

अजीब जुम्बिश-ए-लब है ख़िताब भी न करे

आइने से मुकर गया कोई

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