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टूट जाए तो कहीं उस को भी चैन आता है - रशीदा सलीम सीमीं कविता - Darsaal

टूट जाए तो कहीं उस को भी चैन आता है

टूट जाए तो कहीं उस को भी चैन आता है

दिल-ए-बे-ताब तड़प कर ही सुकूँ पाता है

आप आते तो ठहर जाते ये लम्हे शायद

वक़्त को यूँ भी गुज़रना है गुज़र जाता है

इस तसव्वुर से कि शब भर तिरी रह देखेंगे

शाम आती है तो दिल डूब के रह जाता है

ग़म का एहसास भी गुम्बद की सदा हो जैसे

दिल से टकराता है फिर दिल में पलट आता है

वुसअ'त-ए-दीद निगाहों का मुक़द्दर न बनी

आँख के तिल में तो आलम भी सिमट आता है

अश्क थमते हैं तो हो जाती हैं आँखें ख़ूँ-रंग

जाँ सँभलती है तो दिल ज़ब्त से मर जाता है

कोई निस्बत है तेरे नाम से 'सीमीं' वर्ना

यूँ किसी बात का इल्ज़ाम लिया जाता है

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In Hindi By Famous Poet Rasheeda Saleem Seemin. is written by Rasheeda Saleem Seemin. Complete Poem in Hindi by Rasheeda Saleem Seemin. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.