सर-ता-पा हैरत में गुम हो जाएगा
सर-ता-पा हैरत में गुम हो जाएगा
तू भी क्या हैरत में गुम हो जाएगा
आदमी बन जाएगा तख़्लीक़-कार
और ख़ुदा हैरत में गुम हो जाएगा
देख कर मुझ आईना-रू का जमाल
आईना हैरत में गुम हो जाएगा
लाश को वारिस न पहचानेंगे और
सानेहा हैरत में गुम हो जाएगा
रक़्स में होंगे दर-ओ-दीवार-ओ-बाम
तख़लिया हैरत में गुम हो जाएगा
मंज़िलें मादूम हो जाएँगी सब
रास्ता हैरत में गुम हो जाएगा
अक़्ल से भी मावरा सोचूँगी मैं
फ़ल्सफ़ा हैरत में गुम हो जाएगा
क्या से क्या अश्काल बदलेंगी यहाँ
क्या से क्या हैरत में गुम हो जाएगा
देखना ये आलम-ए-ईजाद भी
'राशिदा' हैरत में गुम हो जाएगा
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