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कहते हो मुझे बे-अदब ख़ैर मैं बे-अदब सही - रशीद रामपुरी कविता - Darsaal

कहते हो मुझे बे-अदब ख़ैर मैं बे-अदब सही

कहते हो मुझे बे-अदब ख़ैर मैं बे-अदब सही

तुम से शिकायत-ए-सितम जब न सही तो अब सही

बज़्म-ए-अज़ा-ए-दोस्त में ग़म न सही तरब सही

हँस न सको जो खुल के तुम तो ख़ंदा-ए-ज़ेर-ए-लब सही

जितनी हों मेहरबानियाँ रखिए वो ग़ैर के लिए

और सितम हों जिस क़दर मेरे लिए वो सब सही

मुझ पर अगर करम नहीं उस का मुझे अलम नहीं

कोई न कोई बात हो क़हर सही ग़ज़ब सही

लुत्फ़-ए-करम न हो न हो कम है वो क्या अता हो जो

काविश-ए-बे-सबब सही कुल्फ़त-ए-बे-तलब सही

शौक़ से कह के बद-नसीब आप उसे पुकारिए

नाम 'रशीद' है तो हो और भी इक लक़ब सही

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In Hindi By Famous Poet Rasheed Rampuri. is written by Rasheed Rampuri. Complete Poem in Hindi by Rasheed Rampuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.