Ghazals of Rasheed Rampuri
नाम | रशीद रामपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rasheed Rampuri |
जन्म की तारीख | 1892 |
मौत की तिथि | 1964 |
उठ कर तिरे दर से कहीं जाने के नहीं हम
उन के घर आना नहीं जाना नहीं
तुझ से वहशत में भी ग़ाफ़िल कब तिरा दीवाना था
तर्क-ए-सितम पे वो जो क़सम खा के रह गए
मुफ़्त दुश्नाम-ए-यार सुनते हैं
मोहब्बत में दिल-सख़्तियाँ और भी हैं
मिरे घर के लोग जो घर मुझी को सुपुर्द कर के चले गए
मिरा नाम क़ैस क्यूँ कर तिरे नाम तक न पहुँचे
किसी का उन्हें पास-ए-ग़ुर्बत नहीं है
किस को लहद और मर्ग का डर हो
खुला ये उन के अंदाज़-ए-बयाँ से
कहते हो मुझे बे-अदब ख़ैर मैं बे-अदब सही
जिस की गिरह में माल नहीं है
जब नज़र उस ने मिलाई होगी
इन हसीनों की मोहब्बत का भरोसा क्या है
हैं सर-निगूँ जो ताना-ए-ख़ल्क़-ए-ख़ुदा से हम
हैं बे-नियाज़-ए-ख़ल्क़ तिरा दर है और हम
है निहायत सख़्त शान-ए-इम्तिहान-ए-कू-ए-दोस्त
दिल की क्या क़द्र हो मेहमाँ कभी आए न गए
दिल की बे-इख़्तियारियाँ न गईं
दिल इश्क़ में उन के हारते हैं
छुट गए हम जो असीर-ए-ग़म-ए-हिज्राँ हो कर
अल्लाह रे हौसला मिरे क़ल्ब-ए-दो-नीम का
ऐ दिल इस का तुझे अंदाज़-ए-सुख़न याद नहीं
अहल-ए-नज़र की आँख में हुस्न की आबरू नहीं