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तनख़्वाह-ए-तबर बहर-ए-दरख़्तान-ए-कुहन है - रशीद लखनवी कविता - Darsaal

तनख़्वाह-ए-तबर बहर-ए-दरख़्तान-ए-कुहन है

तनख़्वाह-ए-तबर बहर-ए-दरख़्तान-ए-कुहन है

जो शाख़ फली है वो बर-आवर्द-ए-चमन है

गुलशन से अनादिल को क़फ़स में है सिवा चैन

आराम जहाँ हो वो ग़रीबों का वतन है

है आलम-ए-तिफ़्ली से अयाँ मौत का सामाँ

ग़ुंचे का जो मल्बूस है वो गुल का कफ़न है

है हुक्म कि मरने में न अब देर लगाएँ

ये क़ैद फ़क़त बहर-ए-असीरान-ए-कुहन है

ऐ ज़ोफ़ ये छुटना है मुझे क़ैद से बद-तर

जो तार-ए-नफ़स है मिरी गर्दन में रसन है

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In Hindi By Famous Poet Rasheed Lakhnavi. is written by Rasheed Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Rasheed Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.