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न छोड़ा दिल-ए-ख़स्ता-जाँ चलते चलते - रशीद लखनवी कविता - Darsaal

न छोड़ा दिल-ए-ख़स्ता-जाँ चलते चलते

न छोड़ा दिल-ए-ख़स्ता-जाँ चलते चलते

ग़ज़ब कर चले मेहरबाँ चलते चलते

कहेंगे कुछ ऐ बाग़बाँ चलते चलते

अगर देगी यारा ज़बाँ चलते चलते

गिरे हम पस-ए-कारवाँ चलते चलते

थके पाँव अपने कहाँ चलते चलते

तिरी चाल बाद-ए-ख़िज़ाँ ने उड़ाई

उजाड़ा मिरा आशियाँ चलते चलते

करो आँखें झपका के तिरछी निगाहें

सिनानें चलीं बर्छियाँ चलते चलते

भरें सर्द आहें जो गर्म आह भर के

नसीम आई बाद-ए-ख़िज़ाँ चलते चलते

न घबरा ज़रा दामन-ए-रोज़-ए-महशर

करूँगा तिरी धज्जियाँ चलते चलते

अदम को चले क़ैद ज़ुल्फ़-ए-सनम में

रहें पाँव में बेड़ियाँ चलते चलते

दम-ए-नज़अ' सर पर गिरे कोह-ए-उल्फ़त

उठाईं बड़ी सख़्तियाँ चलते चलते

मिरी लाश को पाँव से ख़ूब रौंदा

थमे सूरत-ए-आसमाँ चलते चलते

बस अब तो अदम में मुलाक़ात होगी

ये कहते गए रफ़्तगाँ चलते चलते

न क़ातिल ने तेग़-ए-निगह तक लगाई

न करता गया इम्तिहाँ चलते चलते

जहाँ से गए हश्र तक ख़ूब सोए

लिया साथ ख़्वाब-ए-गिराँ चलते चलते

रहे उम्र-भर तेरी वहदत के क़ाइल

न लीं हम ने दो हिचकियाँ चलते चलते

'रशीद'-ए-हज़ीं लाख रोका किए हम

वो लेते गए नक़्द-ए-जाँ चलते चलते

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In Hindi By Famous Poet Rasheed Lakhnavi. is written by Rasheed Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Rasheed Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.