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गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं - रशीद लखनवी कविता - Darsaal

गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं

गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं

दम-ब-दम लौ तिरे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा देते हैं

हिज्र से करते हैं नाशाद हमें वस्ल से शाद

ख़ुद मरज़ देते हैं और आप शिफ़ा देते हैं

दिल की तुम बात समझते हो ज़बाँ गो न हिले

ख़ूब सुनते हो जो चुपके से सदा देते हैं

कम न समझें मिरी आहों के शरारों को हुज़ूर

आग अभी सारे ज़माने में लगा देते हैं

तुम ने एहसान किया है कि नमक छिड़का है

अब मुझे ज़ख़्म-ए-जिगर और मज़ा देते हैं

उन की तक़दीर में है मेरे लहू में भरना

ख़ून की बू तिरे दामान-ए-क़बा देते हैं

साफ़ करते हैं अभी ग़ैर ये वो तेग़-ए-अदा

दोस्त आ के मुझे पैग़ाम-ए-क़ज़ा देते हैं

जागो ऐ मुम्लिकत-ए-इश्क़ के सोने वालो

शब को दरबान-ए-दर-ए-यार सदा देते हैं

जितने शाइ'र हैं उन्हों ने हमें इज़्ज़त दी है

हम 'रशीद' उन को शब-ओ-रोज़ दुआ देते हैं

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In Hindi By Famous Poet Rasheed Lakhnavi. is written by Rasheed Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Rasheed Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.