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दिला मा'शूक़ जो होता है वो सफ़्फ़ाक होता है - रशीद लखनवी कविता - Darsaal

दिला मा'शूक़ जो होता है वो सफ़्फ़ाक होता है

दिला मा'शूक़ जो होता है वो सफ़्फ़ाक होता है

बड़ा बे-रहम होता है बड़ा बेबाक होता है

ख़ुशी होगी हलाक अपना दिल-ए-सद-चाक होता है

कहाँ अब आरज़ू घर हसरतों का ख़ाक होता है

तुम्हारी तेग़ मुझ से चुपके चुपके कहती जाती है

मुबारक हो कि ये सर ज़ीनत-ए-फ़ितराक होता है

तुझे अल्लाह ने बख़्शा है कैसा रुतबा-ए-आली

कि तेरा नक़्श-ए-पा ताज-ए-सर-ए-अफ़्लाक होता है

क़रीब आया है वक़्त ऐ जान-ए-जाँ अब दम निकलने का

तिरे कूचे से हम उठते हैं झगड़ा पाक होता है

जो पीते हैं शराब उन की मोहब्बत में नहीं आसी

ये तर-दामन वही हैं जिन का दामन पाक होता है

ख़याल आता है बदनामी का आशिक़ क़त्ल होते हैं

कि माशूक़ों को नाम-ए-आशिक़ी से पाक होता है

असर से मेरी वहशत के कोई जामा नहीं साबित

मैं सुनता हूँ गरेबाँ हर कफ़न का चाक होता है

मैं कह देता हूँ हो आ कर ज़ुल्फ़ के कूचे में दम-भर को

किसी दिन जब बहुत मुज़्तर दिल-ए-ग़मनाक होता है

पहुँच जाए हक़ीक़त तक तिरी ये ग़ैर-मुमकिन है

बहुत गो तुझ से वाक़िफ़ साहब-ए-इदराक होता है

'रशीद'-ए-ज़ार क्यूँ ख़ुश ख़ुश न जाए क़ब्र की जानिब

मयस्सर आज दीदार-ए-शह-ए-लौलाक होता है

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In Hindi By Famous Poet Rasheed Lakhnavi. is written by Rasheed Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Rasheed Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.