शजर सूखा तो फ़ौरन कट गया है
शजर सूखा तो फ़ौरन कट गया है
कई हिस्सों में मंज़र बट गया है
यक़ीनन फ़ैसला कुछ और होता
सितारा ही नज़र से हट गया है
वही तारीक मंज़र हैं घरों के
कहा किस ने? अंधेरा छट गया है
किसे अब ढूँडते फिरते हो लोगो?
वफ़ा का मरहला तो कट गया है
सुनी जब उस ने प्यासों की कहानी
समुंदर का कलेजा फट गया है
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