गए दिनों की मुसाफ़िरत का ब-यक-क़लम इश्तिहार लिखना

गए दिनों की मुसाफ़िरत का ब-यक-क़लम इश्तिहार लिखना

मिरे पसीने का प्यार लिखना लहू का अपने क़रार लिखना

अजब है क्या मेरी सम्त आ कर तमाम पत्थर महक उठेंगे

तुम्हारे अतराफ़ किस क़दर है मिरे ख़तों का हिसार लिखना

दलील चाहे अगर क़लम मेरी तरह आँखों को मूँद लेना

तमाम अंधी निगाह वालों को बे-झिजक शब-गुज़ार लिखना

हिना को तरसे हुए कफ़-ए-पा का जाल टुक रुक के पूछ लेना

कहाँ तलक आबदारियों में है सुर्ख़ सब्ज़े की धार लिखना

उखड़ के दहलीज़ दर की चौखट से कितनी दूर पे जा पड़ी है

है कितनी शिद्दत से उन रुतों में तुम्हें मेरा इंतिज़ार लिखना

मैं जानता हूँ खटक रही है तुम्हें मिरी मुंतशिर दिमाग़ी

भरे-पुरे शहर में उतर कर मिरा मुझे बे-दयार लिखना

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In Hindi By Famous Poet Rasheed Ejaz. is written by Rasheed Ejaz. Complete Poem in Hindi by Rasheed Ejaz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.