वो ख़ुश किसी के साथ हैं ना-ख़ुश किसी के साथ
हर आदमी की बात है हर आदमी के साथ
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Anwar Masood
Habib Jalib
Gulzar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Rahat Indori
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
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कौन सा इश्क़-ए-बुताँ में हमें सदमा न हुआ
पी के कर लेता हूँ तौबा जब से ये दस्तूर है
'रसा' को दिल में रखते हैं 'रसा' के जानने वाले
साक़ी जो दिए जाए ये कह कर कि पिए जा
बड़ी ही धूम से दावत हो फिर तो ज़ाहिद की
आशिक़ को तेरे लाख कोई रहनुमा मिले
आने को नज़र में मिरी सौ फ़ित्ना-गर आए
जी चाहा जिधर छोड़ दिया तीर अदा को
रास आया है मुझे वहशत में मर जाना मिरा
उन की ख़ल्वत में 'रसा' भी होगा