उन की ख़ल्वत में 'रसा' भी होगा
कभी यूँ हुक्म-ए-ख़ुदा भी होगा
मुझ पे जो तू ने सितम ढाया है
कहीं दुनिया में हुआ भी होगा
सब्र वालों का भी दिन आएगा
एक दिन रोज़-ए-जज़ा भी होगा
आप सा कोई नहीं दुनिया में
आप ने ये तो सुना भी होगा
महफ़िल-ए-शेर में हो आएँ चलो
आज सुनते हैं 'रसा' भी होगा