साक़ी जो दिए जाए ये कह कर कि पिए जा
साक़ी जो दिए जाए ये कह कर कि पिए जा
तो मैं भी पिए जाऊँ ये कह कर कि दिए जा
जाने की जो ज़िद है तो मुझे ज़हर दिए जा
इतना तो कहा मान ले इतना तो किए जा
कुछ और न कर मुझ पे जफ़ाएँ तू किए जा
कुछ और न ले मेरी दुआएँ तू लिए जा
क्या लज़्ज़त-ए-ताज़ीर ने मजबूर किया है
आता है यही जी में कि तक़्सीर किए जा
कम्बख़्त 'रसा' तेरी रसाई नहीं उन तक
तू ख़ूब सा उस नाम को बद-नाम किए जा
(557) Peoples Rate This