दिल में किसी को रक्खो दिल में रहो किसी के
दिल में किसी को रक्खो दिल में रहो किसी के
सीखो अभी सलीक़े कुछ रोज़ दिलबरी के
फ़ुर्क़त में अश्क-ए-हसरत हम क्या बहा रहें हैं
तक़दीर रो रही है पर्दे में बेकसी के
आए अगर क़यामत तो धज्जियाँ उड़ा दें
फिरते हैं जुस्तुजू में फ़ित्ने तिरी गली के
दे कर मुझे तसल्ली बेचैन कर रहे हो
हँसते हो व'अदा कर के क़ुर्बान इस हँसी के
ये हज़रत-ए-रसा भी दीवाने हो गए हैं
चक्कर लगा रहे हैं इक शोख़ की गली के
(502) Peoples Rate This