आशिक़ को तेरे लाख कोई रहनुमा मिले
आशिक़ को तेरे लाख कोई रहनुमा मिले
तेरा पता मिला है न तेरा पता मिले
तुम मुझ से आ मिले कभी दुश्मन से जा मिले
जब ये मिज़ाज है तो कोई तुम से क्या मिले
बा'द-ए-फ़ना भी ख़ैर से तन्हा नहीं हैं हम
बंदों से छुट गए तो फ़रिश्तों में आ मिले
जब दैर में ये देखा कि अपना गुज़र नहीं
काबे के जाने वालों में मजबूर जा मिले
देखो 'रसा' चले तो हो तुम तौबा तोड़ने
दर पर न मय-कदे के कोई पारसा मिले
(556) Peoples Rate This