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निकल कर साया-ए-अब्र-ए-रवाँ से - रसा चुग़ताई कविता - Darsaal

निकल कर साया-ए-अब्र-ए-रवाँ से

निकल कर साया-ए-अब्र-ए-रवाँ से

रहे हम मुद्दतों बे-साएबाँ से

ज़मीं पर चाँद आना चाहता है

उतर कर कश्ती-ए-आब-ए-रवाँ से

निगाहें ढूँडती हैं रफ़्तगाँ को

सितारे टूटते हैं आसमाँ से

मनाते ख़ैर क्या हम जिस्म ओ जाँ की

उसे चाहा था हम ने जिस्म ओ जाँ से

'रसा' किस अहद-ए-ना-पुरसाँ में हम ने

लिया है काम हर्फ़-ए-राएगाँ से

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In Hindi By Famous Poet Rasa Chughtai. is written by Rasa Chughtai. Complete Poem in Hindi by Rasa Chughtai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.