ख़्वाब उस के हैं जो चुरा ले जाए
ख़्वाब उस के हैं जो चुरा ले जाए
नींद उस की है जो उड़ा ले जाए
ज़ुल्फ़ उस की है जो उसे छू ले
बात उस की है जो बना ले जाए
तेग़ उस की है शाख़-ए-गुल उस की
जो उसे खींचता हुआ ले जाए
यूँ तो उस पास क्या नहीं फिर भी
एक दरवेश की दुआ ले जाए
लौ दिए की निगाह में रखना
जाने किस सम्त रास्ता ले जाए
मैं ग़रीब-उद-दयार मेरा क्या
मौज ले जाए या हवा ले जाए
ख़ाक होना ही जब मुक़द्दर है
अब जहाँ बख़्त-ए-ना-रसा ले जाए
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