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कहाँ जाते हैं आगे शहर-ए-जाँ से - रसा चुग़ताई कविता - Darsaal

कहाँ जाते हैं आगे शहर-ए-जाँ से

कहाँ जाते हैं आगे शहर-ए-जाँ से

ये बल खाते हुए रस्ते यहाँ से

वहाँ अब ख़्वाब-गाहें बन गई हैं

उठे थे आब-दीदा हम जहाँ से

ज़मीं अपनी कहानी कह रही है

अलग अंदेशा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ से

इन्हीं बनते-बिगड़ते दाएरों में

वो चेहरा खो गया है दरमियाँ से

उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब अपने

तिरी यादों के बोसीदा मकाँ से

मैं अपने घर की छत पर सो रहा हूँ

कि बातें कर रहा हूँ आसमाँ से

वो इन आँखों की मेहराबों में हर शब

सितारे टाँक जाता है कहाँ से

'रसा' इस आबना-ए-रोज़-ओ-शब में

दमकते हैं कँवल फ़ानूस-ए-जाँ से

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In Hindi By Famous Poet Rasa Chughtai. is written by Rasa Chughtai. Complete Poem in Hindi by Rasa Chughtai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.