रसा चुग़ताई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रसा चुग़ताई
नाम | रसा चुग़ताई |
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अंग्रेज़ी नाम | Rasa Chughtai |
जन्म की तारीख | 1928 |
जन्म स्थान | Karachi |
उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब अपने
उठ रहा है धुआँ मिरे घर में
उस से कहना कि कभी आ के मिले
उन झील सी गहरी आँखों में
तुझ से मिलने को बे-क़रार था दिल
तिरे नज़दीक आ कर सोचता हूँ
तेरे आने का इंतिज़ार रहा
सिर्फ़ माने थी हया बंद-ए-क़बा खुलने तलक
शेर-ओ-सुख़न का शहर नहीं ये शहर-ए-इज़्ज़त-ए-दारां है
शहर में जैसे कोई आसेब है
सहरा-ए-बे-ख़याल में जल-थल कहाँ के हैं
मिट्टी जब तक नम रहती है
कौन दिल की ज़बाँ समझता है
जिन आँखों से मुझे तुम देखते हो
इश्क़ में भी सियासतें निकलीं
इस घर की सारी दीवारें शीशे की हैं
हम किसी को गवाह क्या करते
हुईं आँखें अजब बेहाल अब के
है कोई यहाँ शहर में ऐसा कि जिसे मैं
हाल-ए-दिल पूछते हो क्या तुम ने
घर में जी लगता नहीं और शहर के
दिल धड़कता है सर-ए-राह-ए-ख़याल
चाँद होता नहीं हर इक चेहरा
बारहा हम पे क़यामत गुज़री
बहुत दिनों से कोई हादसा नहीं गुज़रा
बहुत दिनों में ये उक़्दा खुला कि मैं भी हूँ
और कुछ यूँ हुआ कि बच्चों ने
अल्फ़ाज़ में बंद हैं मआनी
अक्स-ए-ज़ुल्फ़-ए-रवाँ नहीं जाता
आरिज़ों को तिरे कँवल कहना