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उस के कूचे में बहुत रहते हैं दीवाने पड़े - रंगीन सआदत यार ख़ाँ कविता - Darsaal

उस के कूचे में बहुत रहते हैं दीवाने पड़े

उस के कूचे में बहुत रहते हैं दीवाने पड़े

उन में देखा तो मियाँ-'रंगीं' न पहचाने पड़े

मैं सफ़र में हूँ और उस को ग़ैर बहकाते हैं वाँ

मुझ को अब काग़ज़ के घोड़े याँ से दौड़ने पड़े

साक़िया तेरी निगाह-ए-नाज़ के बाइस से देख

जाम ओ ख़ुम औंधे हैं और तलपट हैं पैमाने पड़े

दोस्तों के कहने सुनने से मुझे मजबूर हो

ज़ख़्म-ए-दिल जर्राह को ऐ वाए दिखलाने पड़े

अब ग़ज़ल इक और 'रंगीं' तू बदल कर लिख रदीफ़

क़ाफ़िया फिर ये मुकर्रर तुझ को कह जाने पड़े

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In Hindi By Famous Poet Rangin Saadat Yaar Khan . is written by Rangin Saadat Yaar Khan . Complete Poem in Hindi by Rangin Saadat Yaar Khan . Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.