मोहब्बतों के लिए उम्र कम है सो वो शख़्स
सभी शिकायतें कुछ दिन इधर उधर कर दे
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ख़ुदा का शुक्र कि आहट से ख़्वाब टूट गया
मानूस रौशनी हुई मेरे मकान से
मैं जानता हूँ मोहब्बत में क्या नहीं करना
इक तस्वीर पिया की उभरी मंज़र से
हर साँस नई साँस है हर दिन है मिरा दिन
तुझ से कहना था हाल-ए-दिल लेकिन
एक तू, एक आशिक़ी मेरी
बर्फ़ पिघली तो रास्ता निकला
उसे पता है कहाँ हाथ थामना है मिरा
कई तरह के तहाइफ़ पसंद हैं उस को
तुझ आँख से झलकता था एहसास-ए-ज़िंदगी