मैं हाव-हू पे कहानी को ख़त्म कर दूँगा
ये आम बात नहीं है, इसे ख़बर लिया जाए
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गले लगा के मुझे पूछ मसअला क्या है
तू कोई ख़्वाब नहीं जिस से किनारा कर लें
हर साँस नई साँस है हर दिन है मिरा दिन
तुझ को बताएँ किस तरह, बैठे हैं कैसे हाल में
कई तरह के तहाइफ़ पसंद हैं उस को
दिलों में ख़ौफ़ के चूल्हे की आग ठंडी हो
ज़िंदगी देख तिरी ख़ास रिआयत होगी
हज़ार रस्ते तिरे हिज्र के इलाज के हैं
बना हुआ है हमारा कसी बहाने से
ऐसी प्यारी शाम में जी बहलाने को
इस दौर-ए-ना-मुराद से ये तजरबा हुआ
अब ऐसे दश्त-मिज़ाजों से दूर घर लिया जाए