हज़ार रस्ते तिरे हिज्र के इलाज के हैं
हम अहल-ए-इश्क़ ज़रा मुख़्तलिफ़ मिज़ाज के हैं
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(495) Peoples Rate This
मैं उस की नज़रों का कुछ इस लिए भी हूँ क़ाइल
अब ऐसे दश्त-मिज़ाजों से दूर घर लिया जाए
एक तू, एक आशिक़ी मेरी
ज़िंदगी देख तिरी ख़ास रिआयत होगी
आधे घर में मैं होता हूँ आधे घर में तन्हाई
तुझ आँख से झलकता था एहसास-ए-ज़िंदगी
हर साँस नई साँस है हर दिन है मिरा दिन
होता है मेहरबान कहाँ पर ख़ुदा-ए-इश्क़
अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है
एक दो ख़्वाब अगर देख लिए जाएँगे
मोहब्बतों के लिए उम्र कम है सो वो शख़्स