दिल क़नाअत ज़रा सी करता तो
हर मोहब्बत थी आख़िरी मेरी
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Javed Akhtar
Anwar Masood
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(509) Peoples Rate This
अगर ये चेहरा यूँही गर्द से अटा रहेगा
ख़ुदा का शुक्र कि आहट से ख़्वाब टूट गया
गए दिनों में ये इनआम होने वाला था
आओ आँखें मिला के देखते हैं
तुझ आँख से झलकता था एहसास-ए-ज़िंदगी
हज़ार रस्ते तिरे हिज्र के इलाज के हैं
कई तरह के तहाइफ़ पसंद हैं उस को
आधे घर में मैं होता हूँ आधे घर में तन्हाई
मैं जानता हूँ मोहब्बत में क्या नहीं करना
मानूस रौशनी हुई मेरे मकान से
एक दो ख़्वाब अगर देख लिए जाएँगे
मैं उस की नज़रों का कुछ इस लिए भी हूँ क़ाइल