आओ आँखें मिला के देखते हैं
कौन कितना उदास रहता है
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
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Faiz Ahmad Faiz
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Allama Iqbal
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
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कई तरह के तहाइफ़ पसंद हैं उस को
दिलों में ख़ौफ़ के चूल्हे की आग ठंडी हो
तुझ से कहना था हाल-ए-दिल लेकिन
गए दिनों में ये इनआम होने वाला था
मैं उस की नज़रों का कुछ इस लिए भी हूँ क़ाइल
दिल इक ऐसा कासा है जिस की गहराई मत पूछो
नुक्ता यही अज़ल से पढ़ाया गया हमें
ख़ुदा का शुक्र कि आहट से ख़्वाब टूट गया
मानूस रौशनी हुई मेरे मकान से
उसे पता है कहाँ हाथ थामना है मिरा
बना हुआ है हमारा कसी बहाने से