Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8c4e36f9893ad0b229cefc98994fb9ae, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तुझ को बताएँ किस तरह, बैठे हैं कैसे हाल में - राना आमिर लियाक़त कविता - Darsaal

तुझ को बताएँ किस तरह, बैठे हैं कैसे हाल में

तुझ को बताएँ किस तरह, बैठे हैं कैसे हाल में

दुनिया में ऐसा क्या है जो, आता नहीं वबाल में

ढूँडते फिर रहे हैं हम ऐसे शिकारी हाथ को

अर्ज़ ओ समा की वुसअतें, क़ैद हों जिस के जाल में

पहले वो मेरा ख़्वाब था, अब तो मैं उस का ख़्वाब हूँ

मुझ को बता ऐ ज़िंदगी! कौन है किस की चाल में

शहर से शहर का सफ़र, ख़्वाब था मेरा हम-सफ़र

मैं ने तो जी ली ज़िंदगी, बैठ के एक शाल में

ईंट से ईंट जोड़ कर, ख़्वाब बना रहा हूँ मैं

रख़्ने न डाल मेरे यार, ख़्वाब की देख-भाल में

(454) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rana Amir Liyaqat. is written by Rana Amir Liyaqat. Complete Poem in Hindi by Rana Amir Liyaqat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.