जैसा चाहा वैसा मंज़र देखा है

जैसा चाहा वैसा मंज़र देखा है

यानी हम ने अपने अंदर देखा है

उन आँखों को देखने वाले कहते हैं

इस दुनिया को हम ने बेहतर देखा है

जाने वाले तुझ को इतना याद रहे

हम ने तेरा हाथ पकड़ कर देखा है

तेरी कैसे बन जाती है दुनिया से

मैं ने अपना आप बदल कर देखा है

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In Hindi By Famous Poet Rana Amir Liyaqat. is written by Rana Amir Liyaqat. Complete Poem in Hindi by Rana Amir Liyaqat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.