बना हुआ है हमारा कसी बहाने से
बिछड़ न जाए कहें दोस्त आज़माने से
गले लगा के मुझे पूछ मसअला क्या है
मैं डर रहा हूँ तुझे हाल-ए-दिल सुनाने से
कोई हुनर कोई क़िस्मत नहीं चली भाई!
बने हैं काम मिरे हाँ में हाँ मिलाने से
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वस्ल नुक़सान कर गया मेरा
तुझ आँख से झलकता था एहसास-ए-ज़िंदगी
ख़ुदा का शुक्र कि आहट से ख़्वाब टूट गया
मानूस रौशनी हुई मेरे मकान से
तुझ से कहना था हाल-ए-दिल लेकिन
अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है
दिल इक ऐसा कासा है जिस की गहराई मत पूछो
आओ आँखें मिला के देखते हैं
अपना आप पड़ा रह जाता है बस इक अंदाज़े पर
क़ीमती शय थी तिरा हिज्र उठाए रक्खा
कितने ख़्वाब समेटे कोई कितने दर्द कमाएगा
एक दो ख़्वाब अगर देख लिए जाएँगे