सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से
सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से
इक रोज़ तुम्हें माँग के देखेंगे ख़ुदा से
जब कुछ न मिला हाथ दुआओं को उठा कर
फिर हाथ उठाने ही पड़े हम को दुआ से
दुनिया भी मिली है ग़म-ए-दुनिया भी मिला है
वो क्यूँ नहीं मिलता जिसे माँगा था ख़ुदा से
तुम सामने बैठे हो तो है कैफ़ की बारिश
वो दिन भी थे जब आग बरसती थी घटा से
ऐ दिल तू उन्हें देख के कुछ ऐसे तड़पना
आ जाए हँसी उन को जो बैठे हैं ख़फ़ा से
आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं
मर जाए कि जी जाए कोई उन की बला से
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