मिरी जगह पे कोई और हो तो चीख़ उट्ठे
मैं अपने आप से इतने सवाल करता हूँ
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(588) Peoples Rate This
सिर्फ़ बच्चे ही नहीं शोर मचाने आते
मुझ में ख़ुश्बू बसी उसी की है
साथ रोने न सही गीत सुनाने आते
थकन का बोझ बदन से उतारते हैं हम
हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे
कुछ अपनी फ़िक्र न अपना ख़याल करता हूँ
दश्त की प्यास किसी तौर बुझाई जाती
या उन्हें आती नहीं बज़्म-ए-सुख़न-आराई
इश्क़ था और अक़ीदत से मिला करते थे
नींद आती है मगर ख़्वाब नहीं आते हैं
ज़ख़्म इस ज़ख़्म पे तहरीर किया जाएगा