मुझ में ख़ुश्बू बसी उसी की है
जैसे ये ज़िंदगी उसी की है
वो कहीं आस-पास है मौजूद
हू-ब-हू ये हँसी उसी की है
ख़ुद मैं अपना दुखा रहा हूँ दिल
इस में लेकिन ख़ुशी उसी की है
या'नी कोई कमी नहीं मुझ में
या'नी मुझ में कमी उसी की है
क्या मिरे ख़्वाब भी नहीं मेरे
क्या मिरी नींद भी उसी की है