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हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे - रम्ज़ी असीम कविता - Darsaal

हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे

हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे

तो ये चराग़ भी महताब की ख़बर रक्खे

उठा न पाएगी आसूदगी थकन का बोझ

सफ़र की गर्द ही आसाब की ख़बर रक्खे

तमाम शहर गिरफ़्तार है अज़िय्यत में

किसे कहूँ मिरे अहबाब की ख़बर रक्खे

नहीं है फ़िक्र अगर शहर की मकानों को

तो कोई दश्त ही सैलाब की ख़बर रक्खे

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In Hindi By Famous Poet Ramzi Asim. is written by Ramzi Asim. Complete Poem in Hindi by Ramzi Asim. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.