दर्द-ए-दिल जब कभी अयाँ होगा
दर्द-ए-दिल जब कभी अयाँ होगा
कर्ब चेहरे से भी बयाँ होगा
दिल के अरमान बुझ गए सारे
अब तो हर सम्त बस धुआँ होगा
मेरी ही आँखें जब समुंदर हैं
ख़ून भी मेरा ही रवाँ होगा
उस जहाँ में तो जाने कल क्या हो
इस जहाँ में मिरा मकाँ होगा
मेरी आँखों में जो बसा है 'सहर'
कल न जाने किधर कहाँ होगा
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