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दर्द-ए-दिल जब कभी अयाँ होगा - रमज़ान अली सहर कविता - Darsaal

दर्द-ए-दिल जब कभी अयाँ होगा

दर्द-ए-दिल जब कभी अयाँ होगा

कर्ब चेहरे से भी बयाँ होगा

दिल के अरमान बुझ गए सारे

अब तो हर सम्त बस धुआँ होगा

मेरी ही आँखें जब समुंदर हैं

ख़ून भी मेरा ही रवाँ होगा

उस जहाँ में तो जाने कल क्या हो

इस जहाँ में मिरा मकाँ होगा

मेरी आँखों में जो बसा है 'सहर'

कल न जाने किधर कहाँ होगा

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In Hindi By Famous Poet Ramzan Ali Sahar. is written by Ramzan Ali Sahar. Complete Poem in Hindi by Ramzan Ali Sahar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.