Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_709b2d0df8822f182656b3762dce0c45, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हसरत-ए-सिक्का-ए-बख़ील न कर - रम्ज़ अज़ीमाबादी कविता - Darsaal

हसरत-ए-सिक्का-ए-बख़ील न कर

हसरत-ए-सिक्का-ए-बख़ील न कर

अपने कश्कोल को ज़लील न कर

कुछ न बोलेंगे मुद्दई' के ख़िलाफ़

दोस्तों को कभी वकील न कर

बहस जारी रहे तो बेहतर है

मेरे दा'वे को बे-दलील न कर

मैं फ़रासत-गज़ीदगी का शिकार

मुझ को फ़र्ज़ाना-ओ-अक़ील न कर

हाथ ऊँचा रहे कुशादा रहे

जेब को कीसा-ए-बख़ील न कर

कोई हद है तिरी ज़रूरत की

ज़िंदगी यूँ मुझे ज़लील न कर

'रम्ज़' क़ैद-ए-हयात झेल अभी

इतनी उजलत मिरे ख़लील न कर

(599) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Ramz Azimabadi. is written by Ramz Azimabadi. Complete Poem in Hindi by Ramz Azimabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.