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झिलमिलाते हुए आँसू भी अजब होते हैं - रम्ज़ आफ़ाक़ी कविता - Darsaal

झिलमिलाते हुए आँसू भी अजब होते हैं

झिलमिलाते हुए आँसू भी अजब होते हैं

शाम-ए-फ़ुर्क़त के ये जुगनू भी अजब होते हैं

ये अदा हुस्न की हम क्यूँ नज़र-अंदाज़ करें

उस के बिखरे हुए गेसू भी अजब होते हैं

क़त्ल हो कोई तो काँप उठती है सारी दुनिया

दर्द-ए-इंसाँ के ये पहलू भी अजब होते हैं

किस को गीत अपने सुनाते हैं वहाँ क्या कहिए

नग़्मा-ख़्वानान-ए-लब-ए-जू भी अजब होते हैं

इस ख़राबी से तो मामूर है सारा आलम

ये फ़ासादात-ए-मन-ओ-तू भी अजब होते हैं

वलवले दिल के न मालूम किधर ले जाएँ

कश्ती-ए-दिल के ये चप्पू भी अजब होते हैं

भाइयों के सितम ओ जौर को क्या तुम से कहूँ

'रम्ज़' ये क़ुव्वत-ए-बाज़ू भी अजब होते हैं

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In Hindi By Famous Poet Ramz Afaqi. is written by Ramz Afaqi. Complete Poem in Hindi by Ramz Afaqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.