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जब उन के पा-ए-नाज़ की ठोकर में आएगा - रम्ज़ आफ़ाक़ी कविता - Darsaal

जब उन के पा-ए-नाज़ की ठोकर में आएगा

जब उन के पा-ए-नाज़ की ठोकर में आएगा

कितना ग़ुरूर राह के पत्थर में आएगा

सौदा-ए-इश्क़ कहते हैं अहल-ए-ख़िरद जिसे

क्या जाने कब ये वस्फ़ मिरे सर में आएगा

ऐसी जगह मकान बनाना न था मुझे

जंगल तमाम उड़ के मिरे घर में आएगा

मुझ से निकल के जाएगा क़ातिल मिरा कहाँ

इक दिन तो मेरे सामने महशर में आएगा

हम ख़ुद ही क्यूँ न कर लें सितम जान-ए-ज़ार पर

क्या इस से फ़र्क़ शान-ए-सितमगर में आएगा

सारे ही आब-ओ-गिल के सफ़र मैं ने कर लिए

अब आसमान भी मिरी ठोकर में आएगा

मौसूम है जो ज़हर-ए-हलाहल के नाम से

अब वो मिरे नसीब के साग़र में आएगा

ये क्या ख़बर थी 'रम्ज़' कि आज़ाद होने पर

सैलाब-ए-ख़ूँ उमड के हर इक घर में आएगा

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In Hindi By Famous Poet Ramz Afaqi. is written by Ramz Afaqi. Complete Poem in Hindi by Ramz Afaqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.