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ग़म छुपाने में वक़्त लगता है - रमेश कँवल कविता - Darsaal

ग़म छुपाने में वक़्त लगता है

ग़म छुपाने में वक़्त लगता है

मुस्कुराने में वक़्त लगता है

रूठ जाने का कोई वक़्त नहीं

पर मनाने में वक़्त लगता है

ज़िद का बिस्तर समेटिए दिलबर

घर बसाने में वक़्त लगता है

जा के आने की बात मत कीजे

जाने आने में वक़्त लगता है

आज़मा मत, भरोसा कर मुझ पर

आज़माने में वक़्त लगता है

यक-ब-यक भूलना है ना-मुम्किन

भूल जाने में वक़्त लगता है

वो अभी बन सँवर रही होगी

उस को आने में वक़्त लगता है

जाम पीते हैं जो नज़र से उन्हें

जाम उठाने में वक़्त लगता है

बेटियों को बचा के रखिए 'कँवल'

इन को पाने में वक़्त लगता है

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In Hindi By Famous Poet Ramesh Kanwal. is written by Ramesh Kanwal. Complete Poem in Hindi by Ramesh Kanwal. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.