हम ओस के क़तरे हैं कि बिखरे हुए मोती
धोका नज़र आए तो हमें रोल के देखो
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दिल में तो बहुत कुछ है ज़बाँ तक नहीं आता
रौशनी वाले तो दुनिया देखें
मुस्कुराती आँखों को दोस्तों की नम करना
ज़िंदाँ में भी वही लब-ओ-रुख़्सार देखते
ज़िंदगी तो सपना है कौन 'राम' अपना है
सरमा था मगर फिर भी वो दिन कितने बड़े थे
तेरी महफ़िल में सितारे कोई जुगनू लाया
आँसू जो बहें सुर्ख़ तो हो जाती हैं आँखें
कहीं जंगल कहीं दरबार से जा मिलता है
तिरे इंतिज़ार में इस तरह मिरा अहद-ए-शौक़ गुज़र गया
इस डर से इशारा न किया होंट न खोले
जो तेरे ग़म में जले हैं वो फिर बुझे ही नहीं