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रूह में घोर अंधेरे को उतरने न दिया - राम रियाज़ कविता - Darsaal

रूह में घोर अंधेरे को उतरने न दिया

रूह में घोर अंधेरे को उतरने न दिया

हम ने इंसान में इंसान को मरने न दिया

तेरे बाद ऐसी भी तन्हाई की मंज़िल आई

कि मिरा साथ किसी राहगुज़र ने न दिया

कौन था किस ने यहाँ धूप के बादल बरसाए

और तिरे हुस्न की चाँदी को निखरने न दिया

प्यास की आग लगी भूक की आँधी उट्ठी

हम ने फिर जिस्म का शीराज़ा बिखरने न दिया

ज़िंदगी कशमकश-ए-वक़्त में गुज़री अपनी

दिन ने जीने न दिया रात ने मरने न दिया

अश्क बरसाए कभी ख़ून बहाया हम ने

ग़म का दरिया किसी मौसम में उतरने न दिया

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In Hindi By Famous Poet Ram Riyaz. is written by Ram Riyaz. Complete Poem in Hindi by Ram Riyaz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.