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हम तो दिन-रात इसी सोच में मर जाएँगे - राम नाथ असीर कविता - Darsaal

हम तो दिन-रात इसी सोच में मर जाएँगे

हम तो दिन-रात इसी सोच में मर जाएँगे

तुझ से बिछड़ेंगे तो किस हाल में घर जाएँगे

हाँ इसी पेड़ के नीचे मैं लहू रोया था

लोग इस राह से गुज़़रेंगे तो डर जाएँगे

हम हैं हस्सास बहुत हम को बचा कर रखना

फिर न सिमटेंगे जो इक बार बिखर जाएँगे

अब तो सहरा भी गुलिस्ताँ है बहार आने पर

शहर को छोड़ के दीवाने किधर जाएँगे

आ गई नींद उसे भूल भी जाएगा 'असीर'

आ गया सब्र मुझे ज़ख़्म भी भर जाएँगे

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In Hindi By Famous Poet Ram Nath Aseer. is written by Ram Nath Aseer. Complete Poem in Hindi by Ram Nath Aseer. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.