Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9a5ebdaf56d010a1390202c78c38dc9b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मुझे मिली है अगर इन्फ़िरादियत की सनद - राम दास कविता - Darsaal

मुझे मिली है अगर इन्फ़िरादियत की सनद

मुझे मिली है अगर इन्फ़िरादियत की सनद

बचा के लाया हूँ अपनी सलाहियत की सनद

भुला दिए हैं अलिफ़-लैलवी सभी क़िस्से

ग़ज़ल ने जब से मुझे दी जदीदियत की सनद

परेशाँ-हाल है हर शख़्स इस ज़माने में

मिली है किस को यहाँ ख़ैर-ओ-आफ़ियत की सनद

था अपने शहर में मुद्दत से अजनबी की तरह

जनाब मुझ को मिली आज शहरियत की सनद

तुम एक अहल-ए-सुख़न हो अदब के तारे हो

तुम अपने अहद से लो अपनी अहमियत की सनद

ख़ुदा का शुक्र है ए 'राम' इस ज़माने में

मैं ज़िंदा हूँ है यही मेरी ख़ैरियत की सनद

(665) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Ram Daas. is written by Ram Daas. Complete Poem in Hindi by Ram Daas. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.