दीवाना कर के मुझ को तमाशा किया बहुत
दीवाना कर के मुझ को तमाशा किया बहुत
तेरी तलाश ने मुझे रुस्वा किया बहुत
क्या कहिए उस के रू-ब-रू आँसू निकल पड़े
हम ने तो ज़ब्त-ए-ग़म का इरादा किया बहुत
लेकिन हमारा दीदा-ए-बीना भी कम न था
हालाँकि उस ने बज़्म में पर्दा किया बहुत
बोसा जबीं को पा-ए-सनम का न मिल सका
लग़्ज़िश ने बे-ख़ुदी का बहाना किया बहुत
सूरज ने धूल किरनों की आँखों में झोंक दी
मत पूछ रौशनी ने अंधेरा किया बहुत
उस की हद-ए-कमाल तअय्युन न कर सके
अहल-ए-ख़िरद ने उस का अहाता क्या बहुत
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