कहा गया न कभी और कभी सुना न गया

कहा गया न कभी और कभी सुना न गया

मैं ऐसा हर्फ़ हूँ जो आज तक लिखा न गया

दबा के होंटों में लाई थी मुद्दआ क्या क्या

मगर वो सामने आया तो कुछ कहा न गया

बिछड़ के तुम से अभी तक भटक रही हूँ मैं

तुम्हारे घर की तरफ़ कोई रास्ता न गया

अभी भी याद है तुम को हमारे हाथ की चाय

ख़ुदा का शुक्र अभी तक वो ज़ाइक़ा न गया

कई मवाक़े' मिरी ज़िंदगी में आए मगर

किसी पे हँस लिए इतना कि फिर हँसा न गया

मैं अपने चेहरे पर आँखें तलाश करती रही

वो जब तलक मुझे अपनी झलक दिखा न गया

मैं आते आते निशाने पे रह गई 'रख़्शाँ'

कि अब के बार भी उस का ग़लत निशाना गया

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In Hindi By Famous Poet Rakhshan Hashmi. is written by Rakhshan Hashmi. Complete Poem in Hindi by Rakhshan Hashmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.