Ghazals of Rakhshan Hashmi
नाम | रख़शां हाशमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rakhshan Hashmi |
ये ज़िंदगी तो मुसलसल सवाल करती है
वो जो होती थी फ़ज़ा-ए-दास्तानी ले गया
कहा गया न कभी और कभी सुना न गया
जिस तरफ़ भी देखती हूँ एक ही तस्वीर है
है वही मंज़र-ए-ख़ूँ-रंग जहाँ तक देखूँ
दिए जला के हवाओं के मुँह पे मार आया
दिल की धड़कन उलझ रही है ये कैसी सौग़ात ग़ज़ल की
आँख ने फिर अज़ाब देखा है