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सर-ब-सर एक चमकती हुई तलवार था मैं - राजेन्द्र मनचंदा बानी कविता - Darsaal

सर-ब-सर एक चमकती हुई तलवार था मैं

सर-ब-सर एक चमकती हुई तलवार था मैं

मौज-ए-दरिया से मगर बर-सर-ए-पैकार था मैं

मैं किसी लम्हा-ए-बे-वक़त का इक साया था

या किसी हर्फ़-ए-तही-इस्म का इज़हार था मैं

एक इक मौज पटख़ देती थी बाहर मुझ को

कभी इस पार था मैं और कभी उस पार था मैं

उस ने फिर तर्क-ए-तअल्लुक़ का भी मौक़ा न दिया

घटते रिश्तों से कि हर-चंद ख़बर-दार था मैं

इस तमाशे में तअस्सुर कोई लाने के लिए

क़त्ल 'बानी' जिसे होना था वो किरदार था मैं

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In Hindi By Famous Poet Rajinder Manchanda, Bani. is written by Rajinder Manchanda, Bani. Complete Poem in Hindi by Rajinder Manchanda, Bani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.